शरारती चिंटू बंदर और उसकी सीख भरी सजा | Best Hindi Story Hindi 2025

शरारती चिंटू बंदर और उसकी सीख भरी सजा - बच्चों, आज की यह best hindi story hindi एक शरारती बंदर की है, जो हमें सिखाती है कि दूसरों को परेशान करने का अंत हमेशा बुरा होता है।

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शरारती चिंटू बंदर और उसकी सीख भरी सजा - बच्चों, आज की यह best hindi story hindi एक शरारती बंदर की है, जो हमें सिखाती है कि दूसरों को परेशान करने का अंत हमेशा बुरा होता है। यह motivational story है, जो जंगल के जानवरों की दोस्ती और सबक से भरी है। तो आइए, शुरू करते हैं एक मजेदार लेकिन सीख देने वाली यात्रा!

कई साल पहले की बात है, एक घने जंगल में जहां ऊंचे-ऊंचे पेड़ थे, नदियां बहती थीं और तरह-तरह के जानवर रहते थे। वहां एक बंदर रहता था, नाम था चिंटू। चिंटू कोई साधारण बंदर नहीं था – वह जंगल का सबसे नटखट और चालाक लड़का था! उसकी शरारतों से सब तंग आ चुके थे। कभी वह हाथी अंकल के ऊपर से केले फेंककर हंसता, तो कभी खरगोश भैया की गाजर चुराकर भागता। "हा हा हा! पकड़ो मुझे अगर पकड़ सको!" चिंटू चिल्लाता और पेड़ पर चढ़कर गायब हो जाता। जंगल के जानवर कहते, "अरे चिंटू, एक दिन तेरी यह शरारत तुझे ले डूबेगी!" लेकिन चिंटू कान पर जूं नहीं रेंगने देता। वह सोचता, "मैं सबसे चालाक हूं, कोई मुझे क्या कर लेगा?"

एक ठंडी सर्दी की सुबह, चिंटू ने नई शरारत सोची। जंगल के बड़े तालाब के किनारे बत्तखों का परिवार रहता था। वे रोज सुबह नहाने आतीं और एक चिकने पत्थर पर बैठकर आराम करतीं। चिंटू ने पेड़ से चिपचिपी गोंद इकट्ठी की – वह गोंद जो पक्षी मारते समय इस्तेमाल होती है। रात में चुपके से उसने गोंद को पत्थर पर लगा दिया। मन ही मन हंसते हुए सोचा, "कल सुबह मजा आएगा! बत्तखें फंसेंगी और मैं हंस-हंसकर लोटपोट हो जाऊंगा!"

अगली सुबह, बत्तखें जैसे ही आईं। बड़ी बत्तख आंटी बोली, "आओ बच्चों, आज पानी कितना ठंडा और मजेदार है!" वे पत्थर पर बैठीं और गपशप करने लगीं। "कल मैंने मछली पकड़ी थी, इतनी बड़ी!" एक बत्तख बोली। लेकिन जब उठने की कोशिश की, तो पैर चिपक गए! "अरे, क्या हुआ? मेरा पैर नहीं हिल रहा!" छोटी बत्तख चिल्लाई। सब घबराकर फड़फड़ाने लगीं। "हेल्प! कोई बचाओ!" शोर सुनकर चिंटू पेड़ से झांककर हंसने लगा। "हा हा! देखो, बत्तखें डांस कर रही हैं! चिपक गईं ना?"

बत्तखें गुस्से से लाल-पीली हो गईं। बड़ी बत्तख मोनी (जो सबसे समझदार थी) बोली, "यह चिंटू की करतूत है! लेकिन अब बस!" तभी मुर्गों का झुंड पानी पीने आया। मुर्गा सरदार ने पूछा, "क्या हुआ बहनों? इतना शोर क्यों?" बत्तखों ने सारी बात बताई। मुर्गे हंसते हुए बोले, "अरे, यह तो आसान है! हम पानी डालते हैं, गोंद ढीली हो जाएगी।" उन्होंने चोंच से पानी छिड़का, गोंद पिघल गई और बत्तखें आजाद हो गईं। "शुक्रिया मुर्गा भाई!" मोनी ने कहा। मुर्गे बोले, "कोई बात नहीं, जंगल में सब एक-दूसरे के हैं। लेकिन चिंटू को सबक सिखाना पड़ेगा!"

मोनी बत्तख ने योजना बनाई। वह जानती थी कि चिंटू रोज तालाब में नहाने आता है। उसने मुर्गों और कुछ खरगोशों से मदद मांगी। "दोस्तों, चिंटू को उसकी शरारत की सजा मिलनी चाहिए, लेकिन बिना नुकसान पहुंचाए।" सब सहमत हो गए। अगली रात, उन्होंने तालाब किनारे एक मजबूत जाल बिछाया – वह जाल जो बहेलिए पक्षी पकड़ने इस्तेमाल करते हैं, लेकिन वे इसे सिर्फ डराने के लिए इस्तेमाल करेंगे। पास में एक पुराना बहेलिया का सामान छिपा दिया, ताकि चिंटू डरे।

अगली सुबह, चिंटू नींद में आंखें मलता हुआ आया। "आज नहाकर मजा आएगा!" वह पानी में कूदा, लेकिन पूंछ जाल में फंस गई! "अरे, यह क्या? मेरी पूंछ!" वह खींचता, लेकिन जाल और कसता। "हेल्प! कोई बचाओ!" चिंटू चिल्लाया। तभी मोनी और उसके दोस्त झाड़ियों से निकले। मोनी बोली, "चिंटू, याद है कल की शरारत? अब महसूस करो कैसा लगता है फंसना!" चिंटू रोने लगा, "सॉरी मोनी आंटी! मैंने गलती की। फिर कभी शरारत नहीं करूंगा!"

लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती। दूर से एक असली बहेलिया आता दिखा – वह जंगल में घूम रहा था। जानवर घबरा गए। मोनी ने जल्दी से जाल खोला, लेकिन चिंटू की पूंछ अभी भी थोड़ी चिपकी थी। बहेलिया ने शोर सुना और पास आया। "वाह! एक बंदर!" वह चिंटू को पकड़कर बोला। जानवर छिप गए। बहेलिया चिंटू को शहर ले गया और एक मदारी को बेच दिया। मदारी क्रूर था। "नाचो बंदर! नहीं तो कोड़ा!" वह चाबुक मारता। चिंटू दिन-रात नाचता, लोग हंसते। "मां! मुझे जंगल वापस भेजो!" चिंटू रोता।

कई महीने बाद, जंगल के जानवरों को पता चला। मोनी और उसके दोस्तों ने योजना बनाई। वे शहर गए, मदारी को धोखा दिया और चिंटू को छुड़ा लिया। जंगल लौटकर चिंटू ने सबके पैर छुए। "मैं बदल गया हूं। अब शरारत नहीं, मदद करूंगा!" वह फल बांटता, जानवरों की मदद करता। जंगल फिर खुशहाल हो गया। चिंटू अब कहता, "दोस्तों, शरारत मजा देती है, लेकिन सजा दर्द!"

सालों बाद, चिंटू जंगल का नेता बन गया। वह बच्चों को अपनी कहानी सुनाता, "देखो, मैंने गलती की, सजा भुगती, लेकिन सुधरा। तुम भी अच्छे बनो!" एक बार बाढ़ आई, चिंटू ने सबको ऊंचे पेड़ पर चढ़ाया। मोनी बत्तख बोली, "चिंटू, तेरी सजा ने तुझे हीरो बना दिया!" 

सीख:

बच्चों, शरारत मत करो, दूसरों को परेशान मत करो – यह वापस तुम पर आएगी। अच्छाई से दोस्त बनाओ, मदद करो, तो जीवन खुशियों से भरा रहेगा। जंगल की तरह, हमारा समाज भी एकता से मजबूत होता है! 

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